Contents
- 1 एस्ट्रोजन हार्मोन का उत्पादन कहाँ होता है? | Where is Estrogen Produced?
- 2 एस्ट्रोजन हार्मोन कितने प्रकार के होते है? | Types of Estrogen Produced
- 3 एस्ट्रोजन हॉर्मोन महिलाओं में करता क्या है? | Role of Estrogen in Women in Hindi
- 4 महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कितना होता है?
- 5 एस्ट्रोजन हॉर्मोन का टेस्ट | Test for Estrogen Hormone in Hindi
- 6 एस्ट्रोजन हॉर्मोन की कमी लक्षण
- 7 एस्ट्रोजन हॉर्मोन लेवल कैसे बढ़ाएं?
- 8 एस्ट्रोजन हॉर्मोन बढ़ने के लक्षण
- 9 एस्ट्रोजन हॉर्मोन लेवल कैसे कम करे?
Estrogen Harmone (एस्ट्रोजन हार्मोन) in Women- Meaning in Hindi
एस्ट्रोजन हॉर्मोन एक सेक्स हार्मोन है, जो स्त्री पुरुष दोनों में पाया जाता है। लेकिन महिलाओं में इसका महत्व ज्यादा होता है, इसलिए इसे फीमेल हॉर्मोन भी कहते है। क्योंकि ये हॉर्मोन स्त्रियों में शरीर के इंटरनल फंक्शन जैसे रिप्रोडक्शन और ग्रोथ जैसे यौन विकास के लिए जिम्मेदार होता है। इसलिए इसे फीमेल डेवलपमेंट हॉर्मोन भी कहते है। उम्र के साथ महिला के शरीर में होने वाले बदलावों के बहुत बड़ा हिस्सा होता है एस्ट्रोजन हॉर्मोन।
एस्ट्रोजन हार्मोन का उत्पादन कहाँ होता है? | Where is Estrogen Produced?
- स्त्रियों में एस्ट्रोजन हर महीने मुख्य रूप से ओवरी में कोलेस्ट्रॉल से निर्मित होता है।
- इसके अलावा कुछ उत्पादन एड्रिनल ग्लैंड(एड्रिनल कोर्टेक्स) में और कुछ मात्रा में एम्ब्रयो और प्लेसेंटा(फिटोप्लेसेंटल यूनिट)में होता है।
एस्ट्रोजन हार्मोन कितने प्रकार के होते है? | Types of Estrogen Produced
ये हॉर्मोन तीन प्रकार का होता है:
- एस्ट्रोन-यह मेनोपॉज़ के दौरान निर्मित होता है, इसका उत्पादन फैट सेल्स और लिवर में होता है।
- एसट्राडियोल-इसका ज्यादातर भाग ओवरी में बनता है। यह महिला के स्वास्थ्य और भावनाओं जैसे खुशी, नींद, एनर्जी, सेक्स, हड्डियों तथा सुंदरता जैसे बालो, स्किन, आँखे, होठ तथा वेजिना को मॉइस्चराइज करता है। लेकिन ज्यादा बढ़ने पर ब्रैस्ट या यूट्रस कैंसर दे सकता है
- एस्ट्रीऑल-यह लिवर और ब्रैस्ट सेल्स में बनता है, तथा प्रेग्नेंसी के दौरान प्लेसेंटा से भी निर्मित होता है। ये सबसे सेफ एस्ट्रोजन हॉर्मोन माना जाता है क्योंकि ये एस्ट्राडियोल की बढ़ी हुई मात्रा को कम करके कैंसर से बचाता है।
एस्ट्रोजन हॉर्मोन महिलाओं में करता क्या है? | Role of Estrogen in Women in Hindi
महिलाओं में होने वाले निम्न परिवर्तन इसी हॉर्मोन के कारण होते है।
- माहवारी की शुरुआत होना
- स्तनों का विकास होना
- जननांगों तथा बगल में बालों की वृद्धि
माहवारी अथवा मासिक चक्र में एस्ट्रोजन का महत्व:
- एस्ट्रोजन हॉर्मोन प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोन के साथ मिलमर माहवारी को नियंत्रित करता है।
- पीरियड के समय दोनो हॉर्मोन का स्तर सबसे कम होता है।
- पीरियड के पांचवे दिन एग का सिलेक्शन होता है, एग ओवरी के अंदर फॉलिकल में होता है। यह फॉलिकल की रचना ही एस्ट्रोजन का उत्पादन करती है।
- छठे से चौदहवें दिन तक एस्ट्रोजन का हॉर्मोन धीरे धीरे फिर तेजी से बढ़ता है।इसे ओवुलेशन की तैयारी कह सकते है।
- चौदहवें दिन एग के ऊपर से फॉलिकल लेयर हट जाती है और ओवरी एग को फेलोपियन ट्यूब में रिलीज़ कर देती है। ताकि स्पर्म से मिलकर फर्टीलाइज हो सकें।
- पन्द्रवे से 28वे दिन तक यदि एग फर्टीलाइज नही होता तो एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टेरोन दोनो हॉर्मोन का लेवल तेजी से घटता है। इस कारण माहवारी चक्र फिर से शुरू हो जाता है।
- माहवारी होने से पहले और माहवारी के समय होने वाले लक्षणो(प्रीमेन्स्ट्रुअल डिसऑर्डर) में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- एस्ट्रोजन हॉर्मोन का स्टिरॉयड टाइप स्तनपान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
एस्ट्रोजन हॉर्मोन के अन्य कार्य
- इन्फेक्शन और सूजन से बचाता है।
- मानसिक तनाव को कम करता है।
- हड्डियों को मजबूत बनाता है, ये हॉर्मोन विटामिन डी के साथ मिलकर हड्डियों की मजबूती के लिए काम करता है लेकिन उम्र के साथ इसके स्तर में कमी आती है।
यही कारण है कि उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं की हड्डियां कमजोर हो जाती है अर्थात ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना बढ़ जाती है।
- यूट्रस तथा स्तन कैंसर से बचाता है।
- सेक्स ड्राइव को बढ़ाता है।
- त्वचा तथा बालो की चमक बढ़ाता है, क्योंकि एस्ट्रोजन त्वचा के कोलेजन के स्तर को बढ़ाता है जिससे झुर्रियां कम होती है तथा महिला आकर्षक दिखती है।
- ब्लड क्लोटिंग में मदद करता है तथा वेजिना की चिकनाहट को बनाए रखता है।
- कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखता है।
महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कितना होता है?
- 20 से 29 साल तक–149पिकोग्राम
- 30 से 39 साल–210 पिकोग्राम
- 40 से 49 साल–152 पिकोग्राम
- 50 से 59 साल–130 पिकोग्राम
एस्ट्रोजन हॉर्मोन का टेस्ट | Test for Estrogen Hormone in Hindi
स्टिमुलटिंग हॉर्मोन टेस्ट
एस्ट्रोजन हॉर्मोन का फॉलिकल स्टिमुलटिंग हॉर्मोन टेस्ट पीरियड के दूसरे या तीसरे दिन किया जाता है। टेस्ट करवाने से पहले डॉक्टर को अपनी कम्पलीट मेडिकल हिस्ट्री दे। जैसे थाइरोइड, हॉर्मोन ट्यूमर, ओवेरियन सिस्ट, असामान्य रक्तस्राव साथ ही गर्भनिरोधक तरीके जो आप इस्तेमाल करती है उसके बारे में भी बता दे।
एस्ट्रोजन हॉर्मोन दवाओं के रूप में कब दिया जाता है?
ये हॉर्मोन 4 तरीके से दिया जाता है
- ओरली
- टॉपिकली
- वेजिनल
- इंजेक्शन के द्वारा
ये हॉर्मोन मेनोपॉज़ के बाद हड्डियों के फ्रैक्चर के जोखिम को कम करने के एस्ट्रोजन थेरेपी, हॉर्मोन के प्राकृतिक स्तर को बढाने के लिए हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपीगर्भनिरोधक में भी इसका प्रयोग होता है।
एस्ट्रोजन हॉर्मोन की कमी लक्षण
- वेजिनल लुब्रिकेशन की कमी के कारण सेक्स के समय दर्द का अनुभव
- सेक्स ड्राइव की कमी
- मूड़ स्विंग होना
- अचानक गर्मी लगना और पसीना आना
- कोलेस्ट्रॉल लेवल में चेंज
- माइग्रेन
- इररेगुलर पीरियड
- एंग्जायटी
- इररेगुलर स्त्राव
- यूरिन इन्फेक्शन
- मेनोपॉज़
- ओस्टियोपोरोसिस
- पोलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम
- एकाग्रता में कमी और थकान
एस्ट्रोजन स्तर कम क्यों होता है?
जरूरत से ज्यादा व्यायाम, पिट्यूटरी ग्लैंड में कमी, ऑटोइम्यून समस्या, बढ़ती उम्र, खाने पीने में की जाने वाली गलतियां, टर्नर सिंड्रोम, क्रोनिक किडनी डिजीज,
एस्ट्रोजन हॉर्मोन लेवल कैसे बढ़ाएं?
दवाइयों के अलावा अर्थात एस्ट्रोजन थेरेपी और हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के अलावा आप अपने खाने पर ध्यान देकर भी हॉर्मोन लेवल सुधार ला सकती हैं।
निम्न पदार्थो का सेवन बढ़ाइए
फ्लैक्स सीड अर्थात अलसी के बीज, सोया प्रोडक्ट जैसे सोया मिल्क सोया दही, अखरोट, डेरी प्रोडक्ट जैसे दूध, दही, घी, मक्खन, तिल के बीज, बींस, मटर खाए।
एस्ट्रोजन हॉर्मोन बढ़ने के लक्षण
- स्तनों की वृद्धि और सूजन
- हाई ब्लड प्रेशर
- मोटापा
- हेयर फॉल
- इररेगुलर पीरियड
- हाथ पैर ठंडे रहना
- सरदर्द
- पीएमएस के लक्षण
- भूलने की आदत हो जाना
- नींद ना आने
- सेक्स ड्राइव में कमी
एस्ट्रोजन स्तर बढ़ता क्यो है?
हार्मोनल असंतुलन जब प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम हो जाए, लिवर की बीमारी, हद से ज्यादा ड्रग्स या अल्कोहल, एस्ट्रोजन रिप्लेसमेंट थेरेपी या गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन, कम फाइबर का भोजन लेना, जेनो एस्ट्रोजन की अधिकता ये रसायन मानव शरीर बनाता है ये एस्ट्रोजन की नकल करता है।
एस्ट्रोजन हॉर्मोन लेवल कैसे कम करे?
- बहुत से कॉस्मेटिकस में हानिकारक रसायन होते हैं जैसे फथेलेट्स और पेट्रोलियम इसलिए प्राकृतिक सामग्री वाले ब्रांड खोजे।
- सब्जियों और फलो को अच्छे से धोकर खाए ताकि कार्बनिक कीटनाशक हट जाए।
- ज्यादा से ज्यादा फाइबर वाले भोज्य पदार्थ ले।
- कांच या सेरेमिक या मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करे ,प्लास्टिक टिफ़िन और बोतल का उपयोग ना करें।
- नॉनस्टिक बर्तन या माइक्रोवेव बर्तनों का उपयोग भी छोड़ दे।
- स्तर कम करने के लिए सोया प्रोडक्ट जैसे सोया पनीर, सोया मिल्क, छोड़ दे।
- व्यायाम करें, व्यायाम करने से आपकी सारी समस्या हल हो जाएगी
- फिल्टर या उबालकर पानी पीएं।
- नींद पूरी करना बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है इसलिए नींद जरूर पूरी करें।
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